Breaking News

बाईसा किरण देवी हिंदुस्तानी शेरनी जिसने ने अकबर के पसीने छुड़वाए

हिंदुस्तान में उन दिनों ज्यादातर हिस्से पर अकबर का राज था, उसे जो चाहिए था वह छीन लेता था,खास कर जो महिला पसंद आती साम,दाम,दंड,भेद वह उसे पा लेता पहले रानी फिर दासी की जिंदगी जीती थी महिलाए,और अच्छी स्त्री के लिए वह प्रति वर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था, जहां सिर्फ स्त्रीओ को प्रवेश मिलता था,पुरुषों का प्रवेश निषेध था,




खुद अकबर इस मेले में महिला की वेशभूषा में जाता था, जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देतीं दासियां छलकपट सेअकबर के सम्मुख ले जाती थी, और उस स्त्री के पास अकबर की शरणागत स्वीकारने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता था,

एक दिन मेले में महाराणा प्रताप सिंह जी की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह जी की पुत्री उस मेले की सजावट देखने के लिए आती है, जिनका नाम बाईसा किरण देवी था, जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ था,

बाईसा किरण देवी सुंदरता किसीका भी मन मोहित करने वाली थी,उनको देख कर अकबर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और उसने छल कपट से बिना सोचे समझे दासियों की मदद से जनाना महल में बुला लिया, 

मगर अकबर को कहां पता था की यह कोई सामान्य स्त्री नहीं थी जो शरणागत स्वीकार कर लेंगी,

बाईसा किरण देवी सुंदरता देख कर अकबर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और 

बाईसा किरण देवी को स्पर्श करने अपना हाथ आगे कर दिया, और उसने सोचा भी नहीं था ऐसा हुआ,

बाईसा किरण देवी ने तुरंत कमर से कटार निकाली और अकबर को नीचे पटक कर उसकी छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी,

baisa kiran devi vs akbar

यह इतना तेजी से हुआ जिसकी कल्पना अकबर ने कभी नहीं करि थी,किसी मर्द ने आज तक उसके साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं करी थी,वह हक्काबक्का रह गया,

दूसरी और शेरनी बाईसा किरण देवी ने अकबर को दहाड़ा और कहा नराधम तुझे पता नहीं कि मैं उस महाराणा प्रताप सिंह जी की भतीजी हुं जिनके नाम से तेरी नींद उड़ जाती हैं !

बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है!

(महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही अकबर सुन्न हो गया,उसका दिल और दिमाक दोनों बंद )

Read >>> Mahatma Gandhi की हत्या क्या Nathuram Godse ने ही करी थी या कोई और भी था ?

अकबर का खुन सुख गया,उसने कभी कल्पना नहीं करी थी की  अकबर आज राजपूत बाईसा के चरणों में होगा, किरण देवी ने चीखते हुए अकबर से कहा की  आज के बाद कभी दिल्ली में नौरोज़ का मेंला मत लगवाना और ना तो कभी भी किसी औरत को परेशान करना, अकबर ने जब बात का स्वीकार करा तभी उसकी जान बख्श दी गई,

( इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासों में 632 पृष्ठ संख्या में दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेंटिंग में भी इस घटना को निचे दिए गए दोहे के माध्यम से बताया गया है )

 किरण सिंहनी सी चढी उर पर खींच कटार                                                                                                  भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार  

हिन्दुस्तानी लड़कियों को इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए की  आत्मरक्षा कैसे कर सकते है,अगर आप में जज्बा है ताकत है तो दुनिया की कोई ताकत आपको छू 

कोई टिप्पणी नहीं

आपको किसी बात की आशंका है तो कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखे