दिल तो बहक़ जाता है, अपने दीमाक से पूछ - हिंदी काव्य
यह ख़ास उन लोगो के लिए लिखा हुआ काव्य है जिनके दिमाक के दरवाजे बंद रहते है और वह किसी की भी बातो से भ्रमित होकर देश का नुक्सान करते है,दंगे करते है,इसीलिए लिखना पड़ा दिल तो बहक़ जाता है, अपने दीमाक से पूछ
जाग,,, मूर्ख जाग ,दिल तो बहक़ जाता है ,
अपने दीमाक से पूछ
उकसाने वाले नेता बनते है,,
उकसाने वाले पैसे बनाते
है ,
तुने क्या कमाया ?
जाग,,,मूर्ख जाग ,दिल तो बहक़ जाता है
,
अपने दीमाक से पूछ ,,,,2
उकसाने वालो ने कभी पुलिस
की लठ खायी है ?
क्या उकसाने वालो ने कभी
अपना खून बहाया है ?
उकसाने वाले तो
सिर्फ ठंडी
दीवारों के बिच अय्याशी करते है
जाग,,, मूर्ख जाग ,दिल तो बहक़ जाता है ,
अपने
दीमाक से पूछ,,,,,2
तुम बिना समजे पत्थर उठाते हो,तोड़ फोड़ करते हो
जेल में जाते हो,लोग गोली
भी खाते हो
उकसाने वाले तो
सिर्फ ठंडी दीवारों के बिच
बैठ कर मलाई खाते है
जाग,,,मूर्ख जाग दिल तो बहक़ जाता है
,
अपने दीमाक से पूछ,,,,,,2
मुसलमानो को मुसलमानो ने लुंटा, दलित को दलित ने
सवर्ण को सवर्णो ने लूंटा,
तुम पागल मार काट में उलझें हो
उकसाने वाले तो
सिर्फ ठंडी दीवारों के बिच
बैठ कर तुम पर हँसते है
जाग,,,मूर्ख दिल तो बहक़ जाता है ,
अपने दीमाक से पूछ ,,,,,2
वो तो चाहते रहेंगे कठपुतली
बनकर तुम
मंदिर मस्जिद,जात पात पर मार
काट कर ते रहो
बहोत हुआ,बस कर अब,दिल से
नहीं
अपने दीमाक से पूछ
क्योंकि
उकसाने वाले तो नेता बनते
है,,
उकसाने वाले तो पैसे बनाते
है ,
तुमने क्या कमाया ?
जाग,,,मुर्ख
जाग दिल तो बहक़ जाता है ,
अपने दीमाक से पूछ,,,,2 -
By-
Raju Somabhai Patel
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