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लोकसभा में विपक्ष ने कहा आंदोलन में मरे किसानों को मुआवजा मिलेगा या नहीं-सरकार ने क्यों कहा No Sir ?

पिछले चार महीनो से पंजाब के आड़तिए (बिचौलिए) और राजनितिक लोग आंदोलन कर रहे है, अब उनके सपोर्ट में कुछ राजनितिक पार्टी सामने आ गए है, पंजाब के 'भारतीय किसान यूनियन (BKU)' ने दावा किया है कि 4 महीने से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में 70 से अधिक किसान मारे गए हैं। जिसमे कुछ ठण्ड और कुछ हार्ट एटैक से मरे, मगर विपक्षी नेता अपनी नेतागिरी करना चाहते थे,जिन्हे सरकार ने सटीक जवाब दिया और कहा "नो सर" 


ट्रैक्टर से स्टंट करते हुए एक ‘किसान’ की मौत हो गई।तो देश क्यों हर्जाना भुगते ? इसके अलावा ‘किसान आंदोलन’ में शामिल संगठन और विपक्षी दलों के नेता अलग-अलग आँकड़े देकर किसानों की मौत की बातें कर रहे हैं, जो मौत हुई उसके लिए सरकार  अब केंद्र सरकार ने लोकसभा में कहा है कि ऐसे मृतकों को मुआवजा देने की कोई योजना नहीं है।

संगठन का कहना है कि कई युवा किसान दुर्घटना में मरे तो बुजुर्गों की मौत का आँकड़ा ज्यादा है। कई किसान संगठनों ने 76-78 का आँकड़ा भी दिया है। बताया गया कि इनमें 65 पंजाब के और 10 हरियाणा के थे।

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अब केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा है कि ‘किसान आंदोलन’ में मरे ‘किसानों’ के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। लगभग 29 सांसदों ने केंद्रीय किसान एवं कृषि कल्याण मंत्री से ये सवाल पूछा था। 

1, पहला सवाल था कि क्या सरकार को पता है कि हजारों किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 2 महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस पर सरकार ने कहा “हाँ, कुछ किसान संगठन और उसके सदस्य इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।”

2, दूसरा सवाल था कि इस आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई है?

इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि किसान संगठनों से हुई दर्जन भर दौर की वार्ताओं में कई बार उनसे अपील किया गया कि वो महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इस आंदोलन में न लेकर आएँ। किसान नेताओं को कोरोना संक्रमण और ठंड स्थित अन्य कठिनाइयों की याद दिलाई। हालाँकि, सरकार ने मौत का कोई आँकड़ा नहीं दिया।

3, तीसरा सवाल उठाया की  मृतकों के परिजनों को सरकार की और से मुआवजा देने के लिए कोई प्रयोजन ? 

जिसके उत्तर में सरकार ने ‘No Sir’ जवाब दिया। 

4, चौथे प्रश्न के जवाब में सरकर ने कहा कि 

अब तक 11 राउंड की बैठकें हो चुकी हैं। सरकार ने बताया कि किसान नेताओं को एक के बाद एक कई प्रस्ताव दिए गए, ताकि मुद्दे का समाधान हो। 

5, पांचवे सवाल की कानून वापस लिए जाएंगे ?

पाँचवें व अंतिम सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन पर रोक लगाई हुई है।

आंदोलन की असलियत और देश की भावना सरकार परख चुकी है,क्यूंकि यह राजकीय आन्दोलन है वह सिद्ध हो चूका है,ऐसे में इनको जो लोग लेकर आये उन्हे दण्डित कर के उनके पास से ही वसूली करके मृतकों का मुआवजा दिलाना चाहिए, लोगो के टेक्स के पैसे दंगाइयों को क्यों दे ? जो लोग काला कानून कह रहे है वह एक भी चीज काली नहीं बता रहे किसान नेता कैसे हो सकते है ? 

सरकार ने जो करा जनता उनके साथ है, 







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