महाराष्ट्र के 12 BJP विधायकों का निलंबन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया, कहा विधानसभा अध्यक्ष का फैसला असंवैधानिक और मनमाना
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक और अवैध ही नहीं, बल्कि विधानसभा की शक्तियों से भी परे है।
तस्वीर साभार हिन्दुस्तान टाइम्सSupreme Court ने राज्य विधानसभा के पीठासीन अधिकारी द्वारा भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने का आदेश खारिज कर दिया। इन विधायकों को पिछले साल 5 जुुलाई को पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित किया गया था। विधायकों ने अपने निलंबन को Supreme Court में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करने का फैसला असंवैधानिक व मनमाना है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निलंबन सिर्फ जुलाई 2021 में हुए विधानसभा के मानसून सत्र के लिए किया जा सकता था।
इससे पहले सुनवाई के दौरान Justice A M Khanwilkar ने कहा था कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करना निष्कासन से भी बदतर है और ये पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने जैसा होगा। उन्होंने कहा, “कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, क्योंकि क्षेत्र के विधायक सदन में मौजूद नहीं होंगे। यह सदस्य को नहीं, बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के बराबर है।”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया, “सत्यमेव जयते! मानसून सत्र के दौरान OBC के लिए आवाज उठा रहे हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम माननीय सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं।”
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, “हम शुरू से कह रहे थे कि कृत्रिम बहुमत बनाने के लिए हमारे विधायकों को इतनी लंबी अवधि के लिए निलंबित करना पूरी तरह से असंवैधानिक और सत्ता का घोर दुरुपयोग था और वह भी बिना किसी वैध कारण के। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हमारे रुख को बरकरार रखा है। सवाल सिर्फ 12 विधायकों का नहीं, बल्कि इन 12 निर्वाचन क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक नागरिकों का था।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के इन 12 विधायकों- संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटखालकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, राम सातपुते, जयकुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे व कीर्ति कुमार बागडिया को राहत मिली।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी तल्ख टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि ये फैसला तर्कहीन ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक भी है।
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