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शिवसेना ठाकरे परिवार से मुक्त क्यों हो जाएगी-आखिर असली जिम्मेदार कौन ? जरूर पढ़े

शिवसेना के प्रणेता  माननीय बालासाहेब ठाकरेजी,जिन्होंने पुत्र मोह में आकर राजठाकरे की जगह उद्धव ठाकरे जी को शिवसेना की कमान सौंप दी,जिनका राजनितिक अनुभव नहीं के बराबर था,और आज वह दिन भी आ गया जब शिवसेना टूटेंगी नहीं बल्कि शिवसेना से उनका प्रभुत्व पूरी तरह ख़तम होने की कगार पर जरूर है,और इसके लिए अभी तो लोग एकनाथ शिंदे को जिम्मेदार मान रहे है,मगर  लोगो का कहना है की असली गुनहगार तो अब भी ठाकरे  परिवार के पास बैठे है, 


हाल की बात करे तो महाराष्ट्र सरकार टूटने के कगार पर है जब हम लिख रहे है,शायद आप पढ़ेंगे तब तक महा विकास आघाडी सरकार ध्वस्त हो चुकी होगी,क्यूंकि आधे से ज्यादा MLA  गुवहाटी एकनाथ शिंदे के पास पहुँच चुके है,

आखिर एकनाथ शिंदे ने यह कदम क्यों उठाया 

खासकर जब MVA सरकार बनी तबसे एकनाथ शिंदे और कई शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से नाराज थे,फिर उद्धव ठाकरे ने दूसरी गलती करी खुदके पुत्र जिसके पास भी अनुभव नहीं था उसे भी मंत्री बना दिया,और तो और शिव सेना में संजय राउत और आदित्य ठाकरे का प्रभुत्व बढ़ने लगा और शिवसेना जिसे हिन्दुओ की पार्टी कही जाती थी वह हिन्दू लोगो से दूरं होने लगी थी और यह एकनाथ शिंदे और साथी समज चुके थे,और इसीलिए बालासाहेब ठाकरेजी की विचारधारा को बचाने शिवसेना को खुदकी राह पर लाने  के लिए आखिरकार आज इतना कड़ा कदम उठाया,

असली खिलाड़ी कौन शिवसेना से ठाकरे परिवार को दूर करने के लिए ?

अगर आप इतिहास खंगालो तो पता चलेगा की बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे को शिवसेना से दूर करने और रास्ते पर लाने की कसम किसने खाई थी ? आप  भी चौंक जाएंगे अगर  हम कहे की वह सख्स था संजय राउत,और लोग तब भी कहते थे जब उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने यही संजय राउत ने उकसाया था,लोग आतभी कहते थे की संजय राउत उद्धव ठाकरे को जितना ऊपर चढ़ा रहा है उतना ही जल्द निचे गिराएंगे,आखिर शकुनि से  पाया है ?  ही खेला करके  प्लान के मुताबित उद्धवजी को गुमराह करा और बीजेपी से नाता तुड़वाया और कांग्रेस एवं शरद पवार पार्टी से गठबंधन करवाया, उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया,जिससे शिवसेना  को अपना हिंदुत्व एजंडा भूलना पड़े और हिन्दुओ से दुरी हो जाए,और ऐसा ही हुआ जब जब हिंदुत्व की बात आयी शिवसेना सुप्रीमो मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने चुप्पी साधते रहे,क्यूंकि अगर वह हिंदुत्व  का पक्ष  राहुल और सोनिया गांधी नाराज हो जाएगे,और यही चाहते थे संजय राउत  साप भी मरे और लाठी भी ना टूटे यानी उनका नाम भी ना आये और वह  सपना संजोये हुए थे वह पूरा हो जाए,

क्यों संजय  राउत ने कसम खाई थी ?

जब संजय राउत नेता ना होकर पत्रकार थे तब  एक बार माननीय बालासाहेब ठाकरे जी ने  महाशय का बड़ा इंसल्ट करा था,लताड़ा था और तभी संजय राउत ने यह कसम खाई थी ऐसा आजभी लोग कहते है शिवसैनिक भी  अच्छी तरह जानते है, और अब संजय राउत बालासाहेब ठाकरे जी के रहते कुछ नहीं कर पाए उन्होंने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को रास्ते पर लानेका ख़्वाब पूरा करते ज़रूर दिख रहे है,

क्यूंकि आज जब शरद पावर और उद्धव ठाकरे मीटिंग कर रहे है तब उसके बाद भी और चार MLA मुंबई छोड़ सूरत और वहा से गुवहाटी पहुंच गए और किसीको भनक तक नहीं आ पायी,

अब शिवसैनिको को सोचना है की यह खेला किसने किया एकनाथ शिंदे जी ने या संजय राउत ने ?



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