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खाड़ी देशों की आर्थिक मदद से भारत में कैसे फैला है PFI का फंडिंग नेटवर्क ?

भारत में आधी रात को भारत के १२ राज्योंमे CBI,NIA जैसी जांच एजेंसियों ने मिलकर छापे मारे और PFI के तकरीबन 105 लोगो को गिरफ्तार किया,छापे में कुछ संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किया है, जिससे उजागर हुआ की पीएफआइ ने खाड़ी देशों में फंड जुटाने का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रखा है। एजेंसियों के रडार से बचने के लिए उन्होंने खाड़ी देशों से जमा फंड को सीधे खाते में बजाय वहां काम करने वालों के खातों का इस्तेमाल किया,


ईडी के अधिकारी के मुताबिक पीएफआइ ने खाड़ी के देशों में फंड जुटाने के लिए जिला स्तरीय कमेटियां बना रखी है। जो वहां रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ अन्य स्त्रोतों से फंड एकट्ठा करने का काम करती हैं। बाद में इस फंड को  रेमीटेंस या फिर हवाला के रूप में भारत भेजा जाता है।

खाड़ी में काम करने वाले पीएफआइ समर्थक भारतीयों के माध्यम से उनके परिवार के सदस्यों के खाते में या भारत में स्थित एनआइई खाते में फंड ट्रांसफर करवाता है। बाद में उस फंड को कैश या पीएफआइ के खाते में जमा करा दिया जाता है। और PFI इसे आम लोगों से मिले डोनेशन के रूप में दिखाता है।

2018 से 2020 के बीच पीएफआइ के कोषाध्यक्ष रहे पी कोया ने ईडी को दिये बयान में दावा किया था कि PFI विदेश से कोई फंड नहीं लेता है। मगर ईडी की जांच में उसका जूठ उजागर किया । NIA  ने गुरूवार को पी कोया को भी गिरफ्तार कर लिया है।

पूरी साजिश का पर्दाफाश कैसे हुआ ?

हाथरस मामले में गिरफ्तार KA Rauf Sherif ने ईडी के दिये बयान में खाड़ी  देशों से फंड जुटाने और PFI  के खाते में उसका संकेत नहीं मिलने की पूरी साजिश का पर्दाफाश किया है। उतना ही नहीं राउफ शेरीफ को खाड़ी देशों से PFI का 1.36 करोड़ का फंड मिलने के सबूत मिले हैं। इनमें से 21 लाख रुपये कतर से शफीक पेयेथ ने भेजा था। जिसे ईडी ने गुरूवार ही गिरफ्तार कर लिया है।

शफीक पेयेथ ने कतर स्थित अपने एकांउट से केरल के अपने NRI एकाउंट में भी फंड ट्रांसफर किया था, बाद में PFI के खाते में उसे ट्रांसफर कर दिया था । उतना ही नहीं आंध्रप्रदेश में कई लोगों के खाते से पीएफआइ को डोनेशन की बात सामने आई।

ईडी ने जब इन लोगों से पूछताछ की तो उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी। पीएफआइ से जुड़े लोगो ने गरीब लोगों के नाम पर खाता खोल लिया और वही उसे संचालित भी करते थे । इसी तरह से दिल्ली में PFI  के दफ्तर से मिले डोनेशन पर्चियों की जांच की गई तो उनमें ज्यादातर पर्चियों में पूरा नाम पता भी नहीं मिला। और जिनका मिला उसमें भी उन्होंने  साफ इनकार कर दिया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिक्शा चलाने वाले और दहाड़ी मजदूरी करने वालों के नाम पर हजारों रूपये के डोनेशन दिखाये गए थे। 

NOTE : PFI की सबसे बड़ी मंशा उजागर हुई थी की उनका मुख्य उदेश्य साल 2047 आते आते भारत को इस्लामिक देश बनाना है,

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